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Shri Maveer Bhagwan Aarti श्री महावीर भगवान आरती

               
 
 
!! आरती: श्री 1008 चॉंदनपुर महावीर प्रभु जी !!


    जय महावीर प्रभो, स्‍वामी जय महावीर प्रभो।

                कुण्‍डलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो।। ऊँ जय ..............  

सिद्धारथ घर जन्‍मे, वैभव था भारी। -2

बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्‍यौ तपधारी।।  ऊँ जय .............

आतम ज्ञान विरागी, समदृष्टि धारी। -2

माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्‍योती जारी।। ऊँ जय .............

जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्‍तार्यों। -2

  हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परचार्यों।। ऊँ जय .............

इह विधि चॉंदनपुर में, अतिशय दर्शायो। -2

ग्‍वाल मनोरथ पूरयो, दूध गाय पायो।। ऊँ जय .............

प्राणदान मंत्री को, तुमने प्रभु दीना। -2

मंदिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना।। ऊँ जय .............

जयपुर-नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी।-2

           एक ग्राम तिन दीनों, सेवा-हित यह भी।। ऊँ जय .............

जो कोई तेरे दर पर, इच्‍छा कर आवे। -2

          होय मनोरथ-पूरण, संकट मिट जावे।। ऊँ जय .............

निशि-दिन प्रभु-मंदिर में, जगमग-ज्‍योति जरै। -2

             हम सेवक चरणों में, आनंद-मोद भरै।।  ऊँ जय .............

जाप्‍य:- ऊँ ह्री अर्हं श्री वर्धमान जिनेन्‍द्राय नम:


जय जिनेन्‍द्र,

         आप सभी से निवेदन है कि मेरी इस पोस्‍ट को देखें ताकि मेरा अधिक से अधिक भगवान की भक्ति में लीन ऋद्धालुओं को जिनवाणी मॉं की कृतियां पढ़ने को इंटरनेट के माध्‍यम से मिल सकें। मैं प्रयास करूंगा कि जैन धर्म से संबंधित अधिक से अधिक विषय वस्‍तु इस ब्‍लॉग पर आप सभी के लिए उपलब्‍ध करा सकूं।

आप सभी से निवेदन है कि अपने क्षेत्र में हो रहे जैन धर्म के विभिन्‍न कार्यक्रमों की आप विस्‍तृत जानकारी/सूचना तैयार करें हमें ई-मेल के माध्‍यम से भेजें,


ताकि आपके द्वारा भेजी गई वे समस्‍तय कार्यक्रम की सूचना समस्‍त भारवतर्ष में मेरे इस ब्‍लॉग के द्वारा पहुँचाई जा सकें, और सम्‍पूर्ण भारतवर्ष इसका लाभ प्राप्‍त कर सके।
    

आप यदि मेरे साथ जुड़कर कार्य करना इस धार्मिक कार्य में सहयोग करना चाहते हैं, तो ई-मेल के माध्‍यम से सम्‍पर्क करें और आपके पास यदि जैन धर्म के प्रवचन, विधान, पंचकल्‍याणक, गुरू वंदना, गुरू भक्ति, प्रवचन आदि की वीडियो एवं फोटो भी सम्‍पर्क करके भेज सकते हैं, जिससे सम्‍पूर्ण भारतवर्ष में उसे इसके माध्‍मय से जन-जन में पहुँचाया जा सके।

 धन्‍यवाद 




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