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Shri Shantinath Aarti !!श्री शांतिनाथ आरती !! Bhagwan Shantinath Aarti


                     
        !! श्री १००८  भगवान शांतिनाथ आरती !! 


जय जिनवर देवा, स्‍वामी जय जिनवर देवा।

शांति विधाता शिव सुखदाताशांतिनाथ देवा।।1।।

ऊँ जय जिनवर देवा।

ऐरा देवी धन्य जगत में, जिस उर आन  बसे।

विश्‍वसेन कुल नभ में मानो, पूनम चन्‍द्र लसे।।2।।

ऊँ जय जिनवर देवा

कृष्‍ण चतुर्दशी जेठ मास की, आनंद करतारी।

हस्तिनापुर में जन्‍म महोदत्‍सव, ठाठ रचे भारी।।3।।

ऊँ जय जिनवर देवा

बाल्‍यकाल की लीला अद्भुत, सुरनर मन भाई।

न्‍याय नीति से राज्‍य कियो चिर, सबको सुखदाई।।4।।

ऊँ जय जिनवर देवा

पंचम चक्री काम द्वादशम, सोल्‍हम तीर्थंकर।

त्रय पदधारी तुम्‍ही मुरारी, ब्रह्मा शिवशंकर।।5।।

ऊँ जय जिनवर देवा

भवतन भोग समझ क्षणभंगुर, मुनि व्रत धार लिए।

शट-खण्‍ड नव-निधि रतन चतुर्दश, तृणव्रत छोर दिए।।6।।

ऊँ जय जिनवर देवा

दुद्धर तपकर कर्म निवारें, केवल ज्ञान लहा।

दे उपदेश भविक जन बोधे, यह उपकार किया।।7।।

ऊँ जय जिनवर देवा

शांतिनाथ है नाम तुम्‍हारा, सब जग शांति करो।

अरज करें ‘’शिवराम’’ चरण में, भव आताप हरो।।8।।

ऊँ जय जिनवर देवा........................................


।।जाप्‍य:- ऊँ ह्रीं अर्हं सर्वशांतिकराय श्री शांतिनाथाय नम: ।।


जय जिनेन्‍द्र,

         आप सभी से निवेदन है कि मेरी इस पोस्‍ट को देखें ताकि मेरा अधिक से अधिक भगवान की भक्ति में लीन ऋद्धालुओं को जिनवाणी मॉं की कृतियां पढ़ने को इंटरनेट के माध्‍यम से मिल सकें। मैं प्रयास करूंगा कि जैन धर्म से संबंधित अधिक से अधिक विषय वस्‍तु इस ब्‍लॉग पर आप सभी के लिए उपलब्‍ध करा सकूं।

आप सभी से निवेदन है कि अपने क्षेत्र में हो रहे जैन धर्म के विभिन्‍न कार्यक्रमों की आप विस्‍तृत जानकारी/सूचना तैयार करें हमें ई-मेल के माध्‍यम से भेजेंताकि आपके द्वारा भेजी गई वे समस्‍तय कार्यक्रम की सूचना समस्‍त भारवतर्ष में मेरे इस ब्‍लॉग के द्वारा पहुँचाई जा सकेंऔर सम्‍पूर्ण भारतवर्ष इसका लाभ प्राप्‍त कर सके।

आप यदि मेरे साथ जुड़कर कार्य करना इस धार्मिक कार्य में सहयोग करना चाहते हैंतो ई-मेल के माध्‍यम से सम्‍पर्क करें और आपके पास यदि जैन धर्म के प्रवचनविधानपंचकल्‍याणकगुरू वंदनागुरू भक्तिप्रवचन आदि की वीडियो एवं फोटो भी सम्‍पर्क करके भेज सकते हैंजिससे सम्‍पूर्ण भारतवर्ष में उसे इसके माध्‍मय से जन-जन में पहुँचाया जा सके।

 धन्‍यवाद 

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