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समाधि भावना Samadhi Bhavna



समाधि भावना
 दिन -रात मेरे स्वामी, मैं भावना यह भाऊँ।

देहांत के समय में, तुमको ना भूल जाऊँ।।

 दिन- रात मेरे स्वामी…………...


शत्रु अगर कोई हो, संतोष उनको कर दूँ।

समता का भाव धरकर, सबसे क्षमा कराऊॅं।।

दिन- रात मेरे स्वामी…………...


 त्‍यागूँ अहार-पानी, औषध-विचार  अवसर।

 टूटे नियम न कोई, दृढ़ता हृदय में लाऊँ।।

दिन- रात मेरे स्वामी…………...


जागे नहीं कषाये, नहीं वेदना सतावे।

तुमसे ही लौ लगी हो, दुर्ध्‍यान को भगाऊँ।।

दिन- रात मेरे स्वामी…………...


आतम-स्‍वरूप अथवा, अराधना विचारन।

अरहंत सिद्ध साधु, रटना यही लगाऊॅं ।। 

दिन- रात मेरे स्वामी…………...


धरमात्‍मा निकट हो, चरचा धरम सुनावे।

वह सावधान रक्‍खें, गाफिल न होने पाऊँ।।

दिन- रात मेरे स्वामी…………...


जीने की हो न  वॉंछा, मरने की हो न  इच्‍छा।

परिवार-मित्रजन से, मैं राग को हटाऊँ।।

दिन- रात मेरे स्वामी…………...


भाेगे जो भोग पहले, उनका न होवे सुमरन।

मैं राज्‍य-सम्‍पदा या, पद इन्‍द्र का न चाहूॅं।। 

दिन- रात मेरे स्वामी…………...


रत्‍नत्रय का पालन, हो अंत में समाधि।

शिवराज प्रार्थना है, जीवन सफल बनाऊँ।। 

दिन- रात मेरे स्वामी…………...



जय जिनेन्‍द्र,

         आप सभी से निवेदन है कि मेरी इस पोस्‍ट को देखें ताकि मेरा अधिक से अधिक भगवान की भक्ति में लीन ऋद्धालुओं को जिनवाणी मॉं की कृतियां पढ़ने को इंटरनेट के माध्‍यम से मिल सकें। मैं प्रयास करूंगा कि जैन धर्म से संबंधित अधिक से अधिक विषय वस्‍तु इस ब्‍लॉग पर आप सभी के लिए उपलब्‍ध करा सकूं।

आप सभी से निवेदन है कि अपने क्षेत्र में हो रहे जैन धर्म के विभिन्‍न कार्यक्रमों की आप विस्‍तृत जानकारी/सूचना तैयार करें हमें ई-मेल के माध्‍यम से भेजेंताकि आपके द्वारा भेजी गई वे समस्‍तय कार्यक्रम की सूचना समस्‍त भारवतर्ष में मेरे इस ब्‍लॉग के द्वारा पहुँचाई जा सकेंऔर सम्‍पूर्ण भारतवर्ष इसका लाभ प्राप्‍त कर सके।

आप यदि मेरे साथ जुड़कर कार्य करना इस धार्मिक कार्य में सहयोग करना चाहते हैंतो ई-मेल के माध्‍यम से सम्‍पर्क करें और आपके पास यदि जैन धर्म के प्रवचनविधानपंचकल्‍याणकगुरू वंदनागुरू भक्तिप्रवचन आदि की वीडियो एवं फोटो भी सम्‍पर्क करके भेज सकते हैंजिससे सम्‍पूर्ण भारतवर्ष में उसे इसके माध्‍मय से जन-जन में पहुँचाया जा सके।

 धन्‍यवाद 

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