!! श्री 1008
भगवान आदिनाथ आरती !!
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भगवान की।
प्रथमदेव अवतारी प्यारे, तीर्थंकर गुणवान की,
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भगवान की।।
अवधपुरी में जन्मे स्वामी, राजकुँवर वो प्यारे थे,
मरू-माता बलिहार हुई, जगती के तुम उजियारे थे।
द्वार-द्वार बजी बधाई, जय हो दयानिधान की,
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भगवान की।।
बड़े हुए तुम राजा बन गये, अवधपुरी हरषाई थी,
भरत-बाहुबली सुत मतवारे, मंगल-बेला आई थी।
करें सभी मिल जय जयकारे, भारत-पूत महान की,
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भगवान की।।
नश्वरता को देख प्रभुजी, तुमने दीक्षा धारी थी,
देख तपस्या नाथ तुम्हारी, यह धरती बलिहारी थी।
प्रथमदेव तीर्थंकर की जय, महाबली बलवान की,
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भगवान की।।
बारापाटी में तुम प्रकटे, चॉंदखेड़ी मन भाई है,
जगह-जगह के आवे यात्री, चरणन शीश झुकाई है।
फैल रही जगती में ''नमजी'', महिमा उसके ध्यान की।
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भगवान की।।
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भग
वान की,
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भगवान की।
प्रथमदेव अवतारी प्यारे, तीर्थंकर गुणवान की,
जगमग जगमग आरती कीजै, आदीश्वर भगवान की।।
जाप्य:- ऊँ ह्रीं अर्हं श्री
आदिनाथ जिनेन्द्राय नम:
जय जिनेन्द्र,
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