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Shri Chandraprabhu Aarti श्री चन्‍द्रप्रभु आरती

 


!! आरती: श्री 1008 चन्‍द्रप्रभु भगवान जी !!


म्‍हारा चन्‍द्रप्रभु जी की सुन्‍दर मूरत
, म्‍हारे मन भाई जी।

  सावन सुदि दशमी तिथि आई, प्रगटे त्रिभुवन राई जी।। म्‍हारा....

अलवर प्रांत में नगर तिजारा, दरसे देहरे मांही जी।

सीता-सती ने तुमको ध्‍याया, अग्नि में कमल रचाया जी।। म्‍हारा..... 

मैना सती ने तुमको ध्‍याया, पति का कुष्‍ठ मिटाया जी।

 जिनमें भूत प्रेत नित आते, उनका साथ छुड़ाया जी।। म्‍हारा.......

सोमा सती ने तुमको ध्‍याया, नाग का हार बनाया जी।

मानतुंग मुनि तुमको ध्‍याया, तालों को तोड़ भगाया जी।। म्‍हारा.......

 जो भी दु:खिया दर पर आया, उसका कष्‍ट मिटाया जी।

अंजन चोर ने तुमको ध्‍याया, शस्‍त्रों से अधर उठाया जी।। म्‍हारा.......

सेठ सुदर्शन तुमको ध्‍याया, सूली का सिंहासन बनाया जी।

समवशरण में जो कोई आया, उसको पार लगाया जी।। म्‍हारा.......

रत्‍न-जडि़त सिंहासन सोहे, ता में अधर विराजे जी।

तीन छत्र शीष पर सोहें, चौंसठ चंवर ढुरावें जी।। म्‍हारा.......

ठाड़ों सेवक अर्ज करै छै, जनम मरण मिटाओ जी।

 भक्‍त तुम्‍हारे तुमको ध्‍यावैं, बेड़ा पार लगाओ जी।। म्‍हारा.......


जाप्‍य: ऊँ ह्रीं अर्हं श्री चन्‍द्रप्रभु जिनेन्‍द्राय नम:


 



जय जिनेन्‍द्र,

         आप सभी से निवेदन है कि मेरी इस पोस्‍ट को देखें ताकि मेरा अधिक से अधिक भगवान की भक्ति में लीन ऋद्धालुओं को जिनवाणी मॉं की कृतियां पढ़ने को इंटरनेट के माध्‍यम से मिल सकें। मैं प्रयास करूंगा कि जैन धर्म से संबंधित अधिक से अधिक विषय वस्‍तु इस ब्‍लॉग पर आप सभी के लिए उपलब्‍ध करा सकूं।

आप सभी से निवेदन है कि अपने क्षेत्र में हो रहे जैन धर्म के विभिन्‍न कार्यक्रमों की आप विस्‍तृत जानकारी/सूचना तैयार करें हमें ई-मेल के माध्‍यम से भेजें, ताकि आपके द्वारा भेजी गई वे समस्‍तय कार्यक्रम की सूचना समस्‍त भारवतर्ष में मेरे इस ब्‍लॉग के द्वारा पहुँचाई जा सकें, और सम्‍पूर्ण भारतवर्ष इसका लाभ प्राप्‍त कर सके।

आप यदि मेरे साथ जुड़कर कार्य करना इस धार्मिक कार्य में सहयोग करना चाहते हैं, तो ई-मेल के माध्‍यम से सम्‍पर्क करें और आपके पास यदि जैन धर्म के प्रवचन, विधान, पंचकल्‍याणक, गुरू वंदना, गुरू भक्ति, प्रवचन आदि की वीडियो एवं फोटो भी सम्‍पर्क करके भेज सकते हैं, जिससे सम्‍पूर्ण भारतवर्ष में उसे इसके माध्‍मय से जन-जन में पहुँचाया जा सके।

 धन्‍यवाद 



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