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Shri Parshwanath Aarti !! श्री पार्श्‍वनाथ आरती !! Shri Chintamani Parshwanath Aarti


 


!! श्री १००८  भगवान पार्श्‍वनाथ आरती !!

 

ऊँ जय पारस देवा, स्‍वामी जय पारस देवा।

सुर-नर मुनिजन तुम चरणन की, करते निज सेवा ।।1।।

ऊँ जय पारस देवा……

पौष वदी ग्‍यारस काशी में, आनंद अतिभारी। -2,

अश्‍वसेन वामा माता उर-2, लीनो अवतारी।।2।।

ऊँ जय पारस देवा……

श्‍यामवरण नवहस्‍त काय पग, उरग लखन साहें-2

सुरकृत अति अनुपम पा भूषण, सबका मन मोहें।।3।।

ऊँ जय पारस देवा…….

जलते देख नाग-नागिन को, मंत्र नवकार दिया-2

हरा कमठ का मान-ज्ञान का, भानु प्रकाश किया।।4।।

ऊँ जय पारस देवा…….

 मात-पिता तुम स्‍वामी मेरे, आस करूँ मैं किसकी-2

तुम बिन दाता और न कोई, शरण गहूँ जिसकी।।5।।

ऊँ जय पारस देवा…….    

तुम परमातम तुम अध्‍यातम, तुम अंतर्यामी-2

स्‍वर्ग-मोक्ष के दाता तुम हो, त्रिभुवन के स्‍वामी।।6।।

ऊँ जय पारस देवा…….

दीनबंधु दु:खहरण जिनेश्‍वर, तुम ही हो मेरे-2

दो शिवधाम को वास दास, हम द्वार खड़े तेरे।।7।।

ऊँ जय पारस देवा…….

विपद-विकार मिटाओ मन का, अर्ज सुनो दाता-2

सेवक द्वै-कर जोड़ प्रभु के, चरणों चित लाता।।8।।

ऊँ जय पारस देवा…….

ऊँ जय पारस देवा, स्‍वामी जय पारस देवा।

सुर-नर मुनिजन तुम चरणन की, करते नित सेवा।।    

ऊँ जय पारस देवा

।।जाप्‍य:- ऊँ ह्रीं अर्हं श्री चिन्‍तामणी पार्श्‍वनाथ जिनेन्‍द्राय नम: ।।



जय जिनेन्‍द्र,

         आप सभी से निवेदन है कि मेरी इस पोस्‍ट को देखें ताकि मेरा अधिक से अधिक भगवान की भक्ति में लीन ऋद्धालुओं को जिनवाणी मॉं की कृतियां पढ़ने को इंटरनेट के माध्‍यम से मिल सकें। मैं प्रयास करूंगा कि जैन धर्म से संबंधित अधिक से अधिक विषय वस्‍तु इस ब्‍लॉग पर आप सभी के लिए उपलब्‍ध करा सकूं।

आप सभी से निवेदन है कि अपने क्षेत्र में हो रहे जैन धर्म के विभिन्‍न कार्यक्रमों की आप विस्‍तृत जानकारी/सूचना तैयार करें हमें ई-मेल के माध्‍यम से भेजेंताकि आपके द्वारा भेजी गई वे समस्‍तय कार्यक्रम की सूचना समस्‍त भारवतर्ष में मेरे इस ब्‍लॉग के द्वारा पहुँचाई जा सकेंऔर सम्‍पूर्ण भारतवर्ष इसका लाभ प्राप्‍त कर सके।

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 धन्‍यवाद 

 

 

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